5 SIMPLE STATEMENTS ABOUT HINDI KAHANIYAN EXPLAINED

5 Simple Statements About hindi kahaniyan Explained

5 Simple Statements About hindi kahaniyan Explained

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hindi kahani

ऐसा कभी नहीं हुआ था... धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफ़ारिश के आधार पर स्वर्ग या नर्क में निवास-स्थान 'अलॉट' करते आ रहे थे। पर ऐसा कभी नहीं हुआ था। सामने बैठे चित्रगुप्त बार-बार चश्मा पोंछ, बार-बार थूक से पन्ने पलट, रजिस्टर पर हरिशंकर परसाई

खुद को बदलो दुनिया को नही नैतिक शिक्षा कहानी

उसके सामाजिक व्यवहार पर अधिक स्थिर होती है। 

इस कथा साहित्य के माध्यम से प्रेमचन्द जी ने स्पष्ट किया था कि हमारे सामाजिक

कष्टों के दो ही कारण हैं- एक धार्मिक अंधविश्वास और सामाजिक रूढ़ीवादिता और दूसरा

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश

तब मैं न तो इतनी लंबी थी, न इतनी चौड़ी। कमलाकांत वर्मा

इन्हें विशेष रूप से सम्मान दिया वे इस प्रकार हैं-

तब मैं ऐसी नहीं थी। लोग समझते हैं मैं सदा की ऐसी ही हूँ—मोटी, चौड़ी, भारी-भरकम, क्षितिज की परिधि को चीरकर अनंत को शांत बनाती, संसार के एक सिरे से लेकर दूसरे सिरे तक लेटी हुई। वह पुराना इतिहास है। कोई क्या जाने!

कहानी लेखकों ने विदेशी और बंगला कहानियों के प्रभाव में आकर हिन्दी भाषा में भी

मनोविश्लेषणवाद का प्रभाव दृष्टिगत होता है। इनकी कहानियों में मध्यम वर्गीय जीवन

प्रसार द्विवेदी का विचार है कि- "यह मुस्लिम (फारसी) प्रभाव की अन्तिम कहानी

अगर कबरी बिल्ली घर-भर में किसी से प्रेम करती थी तो रामू की बहू से, और अगर रामू की बहू घर-भर में किसी से घृणा करती थी तो कबरी बिल्ली से। रामू की बहू, दो महीने हुए मायके से प्रथम बार ससुराल आई थी, पति की प्यारी और सास की दुलारी, चौदह वर्ष की बालिका। भंडार-घर भगवतीचरण वर्मा

पांच साल की मासूम सिया अपने किचन सेट से दो कटोरियां लेकर बाहर गार्डन में आती है, जहां रैना और साहिल बैठें हुए चाय पी रहे हैं। रैना - सिया बेटा, यह कटोरियां किचन सेट से निकालकर यहां क्यों लेकर आईं ...

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